Aalhadini

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The Train... beings death 6

  


अनन्या का चिंकी के कारण रोते-रोते बहुत ही बुरा हाल था।  उसे केवल और केवल चिंकी ही चाहिए थी.. पर उस ट्रेन के कारण अब चिंकी को कहां ढूंढा जाए…? यह बात समझ नहीं आ रही थी.. 
रात के उसी समय उन्होंने पुलिस स्टेशन जाने का निश्चय किया।

धीरे धीरे वहां पर धुआं इकट्ठा होना शुरू हो गया था।  वह धुंआ जैसे ही आकार ले पाता.. एक के बाद एक तीन-चार जीप वहां आकर रुकी। उन जीपों के रुकते ही.. उसमें से बहुत से लोग उतर कर इंस्पेक्टर की तरफ दौड़े।  देखने में तो सबने नार्मल कपड़े ही पहने हुए थे.. पर वह सभी पुलिस वाले थे.. जो कि नीरज के फोन करने पर वहां पहुंचे थे।
 नीरज को वहां उतरते ही किसी अनहोनी की आशंका हो गई थी.. इसके लिए उसने पहले ही और ज्यादा फोर्स के लिए कॉल कर दिया था। जैसे ही वहां पर बहुत से लोग इकट्ठा हुए वह धुंआ जो आकार लेने लगा था.. वापस से वहां धुंआ बनकर ही गायब हो गया। 
 नीरज ने इस बात पर गौर किया कि जब तक वह फोर्स नहीं आई थी.. तब तक वहां पर अजीब सा माहौल था।  बहुत सारा धुंआ वहां पर इकट्ठा हो गया हो गया था.. जिसके कारण लगभग दिखाई देना बंद ही हो गया था।  इतने सारे लोगों के आते ही धुंआ गायब हो गया।  नीरज ने उस समय कुछ भी कहना ठीक नहीं समझा.. जल्दी ही उसने सभी के साथ मिलकर वहां पर जांच पड़ताल शुरू कर दी।
जल्दी ही फॉरेंसिक टीम भी वहां पहुंच गई थी.. उन्होंने भी उस जगह पर जांच पड़ताल करना शुरू कर दिया।  उन्होंने वहां पड़े मांस के टुकड़ों,  पंखों, वहां के खून और आसपास की फोटो लेना और उनके सैंपल इकट्ठे करना भी शुरू कर दिया था।
 इंस्पेक्टर कदंब वही एक तरफ खड़े होकर उल्टियां कर रहे थे.. नीरज ने उन्हें पानी पिलाया और उन्हें थाने चलकर थोड़ा आराम करने के लिए कहा। 
नीरज ने कहा, "सर फॉरेंसिक टीम अपना काम कर रही है.. जल्दी ही हमें इस घटना की भी रिपोर्ट मिल जाएगी। आप थाने चलकर थोड़ा रेस्ट कर लीजिए.. आपको थोड़ा ठीक लगेगा। आपकी तबीयत ठीक होगी.. तभी तो हम इन दोनों केसों पर काम कर पाएंगे।"
 ऐसा कहते हुए नीरज ने एक जीप में इंस्पेक्टर कदंब को वापस थाने भेज दिया और खुद वहां पर फॉरेंसिक टीम के साथ जांच पड़ताल में जुट गया।  रात के समय वहां पर कोई भी चश्मदीद मिलना नामुमकिन था और जिस जगह यह हादसा हुआ था.. वहां दूर-दूर तक भी कोई घर या कोई सीसीटीवी कैमरा मौजूद नहीं था.. इसलिए उन्हें इस केस को सोल्व करने के लिए केवल फॉरेंसिक रिपोर्ट पर ही यकीन करना होगा। 
जल्दी ही वहां का काम निपटाकर नीरज भी थाने पहुंचा। इंस्पेक्टर कदंब सर पकड़ कर थाने में बैठे थे और उनके सामने बैठे थे दो लोग.. अनन्या और अरविंद।
 वह दोनों ही रेल्वे स्टेशन से आ रहे थे.. जहां वह लोग कुछ समय पहले ही ट्रेन से उतरे थे। उनकी बेटी चिंकी जो लगभग आठ साल की थी.. उसका कुछ भी अता पता नहीं था।  चिंकी स्टेशन से ही कहीं गायब हो गई थी।  इतने अजीब केसों के साथ साथ अब एक और केस उस लिस्ट में जुड़ गया था... चिंकी का केस।
 नीरज ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, "आप लोग चिंता ना करें.. जल्दी ही आपकी बेटी के बारे में भी कोई ना कोई जानकारी मिल ही जाएगी। आप अपना फोन नंबर और पता यहां लिखवा दीजिए।" 
अनन्या की रोते रोते हालत खराब हो गई थी.. उसकी सांसे भी अस्त व्यस्त सी थी..ने रोते हुए हाथ जोड़कर एक-एक शब्द पर जोर देते हुए कहा, "आप.. प्लीजऽऽऽ मेरी बेटी को जल्दी से ढूंढ दीजिए.. पता नहीं वह कहां और किस हाल में होगी..??" 
 अरविंद की भी हालत कुछ बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी.. पर आदमी होने के कारण अपने इमोशंस हर जगह दिखा नहीं सकता था। फिर भी अनन्या को संभालते हुए  कहने लगा, "इंस्पेक्टर मैं आज ही यहां ट्रांसफर होकर आया हूं.. मेरी जॉब पास ही के सिविल हॉस्पिटल में सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट की है।  मुझे 2 दिन बाद ही अपनी ड्यूटी ज्वाइन करनी है। अभी तक हमने यहां कोई घर नहीं लिया.. मुझे लेने हॉस्पिटल का ही एक आदमी आने वाला था.. पर इतनी रात होने के कारण मैंने उसे फोन करना ठीक नहीं समझा.. और पास ही कोई होटल ढूंढने के लिए निकल गया.. और इसी बीच ये दुर्घटना हो गई।" कहते कहते उसकी आँखों में आँसू आ गए थे.. जिन्हें उसने बड़ी ही कुशलता से छुपा लिया था.. जो उसकी कमजोरी की नहीं उसकी आत्मग्लानि थी कि वो अपनी बेटी को नहीं ढूंढ पाया था। 
 नीरज ने भी उनकी मनोदशा को समझते हुए एक हवलदार के साथ उन्हें पास ही के होटल में ठहरा दिया था और वह खुद इंस्पेक्टर कदंब से बात करने लगा, "सर आपको क्या लगता है.. उनकी बेटी उसी मनहूस ट्रेन में चढ़ गई होगी या फिर उस ट्रेन के कारण कहीं गायब हो गई।"  नीरज को भी अपने कुछ ना कर पाने पर कोफ्त हो रही थी। वह इस समय अपने आपको बेबस महसूस कर रहा था। 
 इंस्पेक्टर कदंब ने मायूसी भरे लहजे में कहा, "फिलहाल तो इन सभी केसों पर एक साथ काम करना पड़ेगा.. सुबह हम उस स्टेशन पर जाकर छानबीन करेंगे।  एक बात और यह बताओ कि फॉरेंसिक टीम ने क्या कहा…?? क्या वह किसी नतीजे पर पहुंच गए हैं??" शायद इस सबको ठीक करने की अंतिम आस अभी केवल फॉरेंसिक रिपोर्ट ही थी।
 नीरज ने भी थोड़े थके हुए स्वर में कहा, "नहीं सर... उन्होंने कल दोपहर तक सभी बातों के बारे में खुलासा करने को कहा है.. उन्होंने कहा है कि कम से कम 12 घंटे तो इस काम के लिए उन्हें चाहिए।"
 कदंब ने गर्दन हिलाई और नीरज से बाकी की डिटेल्स अरेंज करने के लिए कहा।
 कुछ ही देर में सुबह भी हो गई थी.. इंस्पेक्टर  कदंब और सब इंस्पेक्टर नीरज दोनों ही अपने-अपने घर फ्रेश होने चले गए थे।  दोनों ही लगभग 11:00 बजे वापस थाने पहुंचे.. वहां पहुंचकर दोनों ने सबसे पहले रेल्वे स्टेशन जाकर चिंकी के बारे में छानबीन करने का निर्णय किया।  
आधे घंटे में ही वह लोग रेल्वे स्टेशन पर छानबीन कर रहे थे.. उन दोनों को वहां पर कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला था.. पर ऐसा लग रहा था कि चिंकी को वहां से जबरदस्ती नहीं ले जाया गया था।  वह वहां से अपनी मर्जी से गई थी। पर सबसे ज्यादा  चिंता की बात टाइम था... जिस टाइम चिंकी गायब हुई थी.. वह टाइम उस मनहूस ट्रेन के आने का था।  इसलिए उन लोगों को यह पूरा विश्वास था कि चिंकी के गायब होने में जरूर ट्रेन का ही कुछ लेना देना था। 
 वहां पर जांच पड़ताल करने के बाद वह लोग वापस थाने पहुंचे।  अरविंद वहां पहले से ही उनका इंतजार कर रहे थे। इंस्पेक्टर के वहां पहुंचते ही अरविंद ने सवाल करना शुरू कर दिया.. अरविंद को बस कैसे भी अपनी बेटी चाहिए थी.. हड़बड़ाहट में उसने पूछा, "इंस्पेक्टर साहब..!! कुछ पता चला.. मेरी चिंकी का..??"
 इंस्पेक्टर कदंब ने नीरज की तरफ देखा.. उनकी नजरों में  नाकामी की कसक थी। नीरज ने अपने आपको मजबूत बनाते हुए अरविंद को कहा, "देखिए डॉक्टर साहब.. हमें उस रेल्वे स्टेशन पर कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है.. पर एक बात यह है कि जिस समय आपकी बेटी गायब हुई है.. वह समय एक ट्रेन के आने का समय है।  वह ट्रेन एक मनहूस ट्रेन है ..उसके पीछे की कहानी तो किसी को नहीं पता... पर कहा जाता है कि वह ट्रेन जिस समय भी स्टेशन पर होती है उस समय उस स्टेशन पर जो भी होता है.. वह कभी वापस नहीं मिलता।  पर हम फिर भी आपकी बेटी को ढूंढने की पूरी कोशिश करेंगे।" 
अरविंद ने निराशा से इंस्पेक्टर की तरफ देखा और वापस चला गया।  उसके जाने के बाद इंस्पेक्टर कदंब ने नीरज से पूछा, "नीरज फॉरेंसिक टीम का कोई जवाब आया.. अभी तक तो शायद जवाब आ जाना चाहिए था।"
 नीरज ने कहा, "सर मुझे ऐसा लगता है कि हमें उनकी लैब में हीं जाकर बात करनी चाहिए।  हो सकता है.. हमें कुछ ऐसा जानने के लिए मिले जो शायद उनकी रिपोर्ट में ना मिले.. क्योंकि रिपोर्ट में वह सिर्फ ऑफिशियल बातें लिखेंगे और बहुत कुछ अन ऑफिशियल बातें वहां जाकर बात करने पर ही पता चलेगी…!!"
 इतना कहते ही वो बात खत्म हो गई और नीरज को जीप निकालने के लिए कहा, "ठीक है... मुझे लगता है.. तुम बिल्कुल ठीक बोल रहे हो।  हमें फॉरेंसिक लैब जाकर ही इस बारे में बात करनी होगी।  तुम फटाफट से जीप निकालो.. हम अभी उनकी लैब में जाकर उनसे बात करेंगे।"
  वह दोनों जल्दी ही फॉरेंसिक लैब जाने के लिए निकल गए.. लगभग आधे घंटे बाद वो लोग एक लैब के सामने खड़े थे।  
 वह लैब एक सरकारी लैब थी.. जो इसी तरीके के काम करने के लिए थी।  उस लाइफ में बहुत  से लोग काम करते थे।  वहां का स्टाफ बहुत ही ज्यादा काबिल और ईमानदार था। कई मौकों पर यह साबित भी हुआ था कि उस लैब के रिजल्ट बहुत ही सटीक होते थे।
 वैसे तो कदंब और नीरज का आना जाना वहां लगा ही रहता था.. पर आज का कारण बहुत ही ज्यादा अजीब था। वह लोग उस लैब के अंदर गए.. तब उन्हें जाते ही एक स्टाफ के कर्मचारी ने उन्हें एक लिफाफा पकड़ाया और कहा, "सर यह कल वाले केस के की डीटेल्स् है.. वहां पर जो भी कुछ मिला था.. उसके बारे में सारी की सारी जानकारियां इस लिफाफे में ही है।"
 नीरज ने उस कर्मचारी से डॉक्टर शीतल के बारे में पूछा.. डॉ शीतल वहां की फॉरेंसिक एक्सपर्ट टीम की चीफ थी और बहुत ही समझदार लेडी भी।  उनके अंडर में जितने भी केसेज् की रिसर्च चल रही थी.. उनके बेस्ट रिजल्ट देखने को मिलते थे।
 नीरज ने पूछा, "आप यह बताइए.. कि डॉ शीतल कहां मिलेंगी..??"
 उस स्टाफ ने कहा, "सॉरी सर.. फिलहाल मैडम एक अजीब से केस को लेकर बहुत ही ज्यादा टेंशन में है।  अगर आपको रात वाले केस से रिलेटेड कोई भी जानकारी चाहिए.. तो आप उनके जूनियर रोहित से ले सकते हैं।"
 नीरज ने गर्दन हिलाते हुए कहा, "नहीं.. हमें डॉ शीतल से ही मिलना है.. बहुत ही ज्यादा इमरजेंसी है।"
 उसे स्टाफ ने डॉ शीतल के केबिन की तरफ इशारा कर दिया। इंस्पेक्टर कदंब और सब-इंस्पेक्टर नीरज डॉ शीतल के केबिन की तरफ बढ़ गए।  उन्होंने बाहर से डोर नॉक किया और शीतल से अंदर आने के लिए पूछा.. डॉ शीतल ने उन्हें कहा, "इंस्पेक्टर आइए.. कुछ खास बात..!"
 तब कदंब ने पूछा, "डॉ शीतल आपके स्टाफ ने बताया कि कोई बहुत ही बड़ी टेंशन है आपको..!" 
शीतल ने एक नजर इंस्पेक्टर पर डाली और फिर वापस अपनी परेशानियों में खो गई…

क्रमशः….

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3 Comments

इस भाग में तो ऐसा लग रहा था, मानो मैं खुद इन सब परिस्थितियों को जी रही होऊँ। सच में क्या लिखा है आपने 😍 ये वाला भाग अब तक का सबसे फेवरिट है मेरा।🥰🥰 इन सबका रहस्य क्या है, आखिर चल क्या रहा है!! ये जानने बड़ा रोमांचक रहेगा अगला भाग। पर इस भाग में लैब को आप लाइफ लिख दी है, उसे एडिट कर लीजियेगा। और यहाँ थोड़ा अजीब ये लगा, कि चिंकी तो पिछली रात्रि गायब हुई थी न 🤔 तो उसके पेरेंट्स आज रात्रि रिपोर्ट लिखवाने आये, अपनी बेटी के खोने के एक दिन बाद🤔 ये अजीब लगा।😶

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Aalhadini

23-Mar-2022 11:30 PM

जी बिल्कुल 🙏 धन्यवाद

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BhaRti YaDav ✍️

30-Jul-2021 10:58 AM

Nice

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